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क्या विराट ने जल्दबाजी में संन्यास लिया:36 की उम्र के बाद सचिन ने लगाए 9 शतक; द्रविड़ 39, तेंदुलकर 40 तक खेले

क्या विराट ने जल्दबाजी में संन्यास लिया:36 की उम्र के बाद सचिन ने लगाए 9 शतक; द्रविड़ 39, तेंदुलकर 40 तक खेले

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36 साल के विराट कोहली ने 12 मई को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। वे अगर 1-2 साल और खेलते तो 10 हजार रन बनाकर इस फॉर्मेट में भारत के तीसरे टॉप स्कोरर बन जाते, लेकिन विराट ने रिकॉर्ड की परवाह नहीं की। विराट भारत के चौथे टॉप स्कोरर रहे। देश के टॉप-5 टेस्ट स्कोरर में कोहली ने ही सबसे जल्दी संन्यास लिया। सचिन तेंदुलकर ने तो 36 साल की उम्र के बाद 9 टेस्ट शतक और लगा दिए थे। वे 40 साल तक खेले, लेकिन विराट ने इस फॉर्मेट में अपना करियर लंबा नहीं होने दिया। स्टोरी में 4 बातें जानते हैं... 1. विराट के संन्यास की 5 वजहें i. टेस्ट में अपना पीक फॉर्म खो दिया विराट कोहली ने 2019 में अपना 27वां टेस्ट शतक लगाया। अगले ही साल कोरोना वायरस आया, मुकाबले कम होने लगे और कोहली ने अपना पीक फॉर्म खो दिया। 2019 तक उन्होंने करीब 55 की औसत से 7202 रन बना लिए थे। वे अगले 5 साल के 39 टेस्ट में महज 31 की औसत से 2028 रन ही बना सके। इस दौरान उनके बैट से 3 ही सेंचुरी निकलीं। कोहली के खराब फॉर्म में कोरोना के बाद की बॉलिंग फ्रेंडली पिचों का योगदान भी बड़ा रहा। महामारी के बाद कोहली ने 37 टेस्ट में 32.09 की औसत से रन बनाए, जो उनके स्टैंडर्ड से बेहद सामान्य रहा। हालांकि, इस दौरान दुनिया भर के टॉप-7 बैटर्स का औसत महज 29.87 का रहा। वहीं कोहली को छोड़कर टीम इंडिया के बाकी टॉप-7 बैटर्स का औसत भी 31.15 का ही रहा। यानी कोहली पिछले 5 साल में दुनिया के टॉप बैटर्स में कम्पीट तो करते रहे, लेकिन उन्हें अपने ही स्टैंडर्ड में गिर जाना नहीं पसंद आया। बांग्लादेश, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी पिछली 3 सीरीज में भी कोहली आउट ऑफ फॉर्म नजर आए। वे एक फिफ्टी और एक सेंचुरी ही लगा सके। 3 से 5 जनवरी तक उन्होंने सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी टेस्ट खेला और मई में संन्यास ले लिया। ii. हेड कोच गंभीर की सख्त पॉलिसी गौतम गंभीर अगस्त 2024 में टीम इंडिया के नए हेड कोच बनाए गए। उन्होंने कोच बनते ही बयान दिया था कि वे टीम इंडिया के स्टार कल्चर को खत्म करना चाहते हैं। उनका मानना रहा कि फैंस और मैनेजमेंट का फोकस प्लेयर के रिकॉर्ड्स से ज्यादा टीम की जीत पर होना चाहिए। गंभीर की एंट्री के बाद BCCI ने लंबे दौरों पर परिवार के ज्यादा समय साथ रहने पर पाबंदी लगा दी। पूर्व कप्तान रोहित शर्मा और टीम के कुछ सीनियर प्लेयर इस फैसले से नाराज नजर आए। गंभीर के कोच बनने के बाद टीम ने न्यूजीलैंड से घरेलू मैदान और ऑस्ट्रेलिया से उन्हीं के मैदान पर सीरीज हार झेली। जिसके बाद रविचंद्रन अश्विन, रोहित शर्मा और विराट कोहली को संन्यास लेना पड़ गया। iii. रोहित शर्मा का इन्फ्लुएंस टीम इंडिया के वनडे कप्तान रोहित शर्मा ने 7 मई को टेस्ट से संन्यास लिया। इसके 5 दिन के भीतर विराट कोहली ने फिर रेड बॉल क्रिकेट को अलविदा कह दिया। यह पहला मौका नहीं है, जब दोनों प्लेयर्स ने एक साथ किसी फॉर्मेट से संन्यास लिया। 29 जून 2024 को जब भारत ने टी-20 वर्ल्ड कप जीता था, तब प्लेयर ऑफ द फाइनल विराट कोहली ने प्रेजेंटेशन सेरेमनी में टी-20 से संन्यास की घोषणा की। जिसके कुछ देर बाद ही रोहित शर्मा ने भी जीत सेलिब्रेट करते हुए सबसे छोटे फॉर्मेट को अलविदा कह दिया था। यानी रोहित के टेस्ट रिटायरमेंट ने कहीं न कहीं कोहली पर भी संन्यास लेने का दबाव बनाया। iv. ऑस्ट्रेलिया में दे दिए थे संकेत नवंबर से जनवरी के बीच भारत ने ऑस्ट्रेलिया का टेस्ट दौरा किया, जहां टीम को 3-1 से हार का सामना करना पड़ा। कोहली ने पहले ही मुकाबले में शतक लगाया, जिसके बाद उन्हें लगा कि वे अपना फॉर्म वापस पा चुके हैं। हालांकि, बाद के 4 टेस्ट की 7 पारियों में विराट हर बार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर स्लिप में ही कैच हुए। वे एक भी फिफ्टी नहीं लगा सके और 190 रन के साथ सीरीज खत्म की। ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के बाद कोहली ने कहा था कि वे इस फॉर्मेट में अपना फॉर्म खोने लगे हैं। TOI की रिपोर्ट अनुसार, तब उन्होंने अपने साथी खिलाड़ी से कह दिया था कि वे इस फॉर्मेट में खुद को और आगे बढ़ते हुए नहीं देखते। जिसके बाद मई में कोहली ने संन्यास ही ले लिया। ग्राफिक में देखिए BGT 2024-25 में कोहली का प्रदर्शन... v. युवा खिलाड़ियों को मौका देने की सोच 2019 में शुरू हुई वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) भी कोहली के संन्यास की बड़ी वजह है। क्योंकि 20 जून से इंग्लैंड में टीम इंडिया की 5 टेस्ट की सीरीज शुरू होगी। जो 2027 की WTC में भारत की पहली सीरीज है, यहीं से टीम इंडिया का फाइनल में पहुंचना तय होगा। कोहली कई इंटरव्यूज में कह चुके हैं कि अगर उन्हें लगेगा कि वे टीम के लिए कॉन्ट्रिब्यूट नहीं कर पा रहे तो वे संन्यास ले लेंगे। उन्हें महसूस हुआ होगा कि युवा टीम तैयार करने के लिए जरूरी है कि WTC में नई टीम को ही मौका मिले। क्योंकि वे खुद की कप्तानी में 2 बार टीम इंडिया को WTC के फाइनल में पहुंचा चुके हैं। कोहली जब कप्तान नहीं रहे तो टीम खिताबी मुकाबले के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी। ऐसे में संभव है कि कोहली ने टीम के भविष्य को ध्यान में रखते हुए रिटायरमेंट लिया। 2. भारत के टॉप-5 रन स्कोरर में सबसे जल्दी संन्यास भारत के टॉप-5 टेस्ट रन स्कोरर में विराट कोहली चौथे नंबर पर रहे। कोहली 10 हजार रन से महज 770 रन दूर थे, वे अगर 893 रन और बनाते तो देश के तीसरे टॉप स्कोरर भी बन जाते। अब सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सुनील गावस्कर ही ऐसे भारतीय बचे, जिनके नाम टेस्ट में 10 हजार रन हैं। कोहली को छोड़कर भारत के टॉप-5 रन स्कोरर ने जब संन्यास लिया, तब उनकी उम्र 38 साल या उससे ज्यादा ही रही। गावस्कर ने 38, द्रविड़ ने 39 और लक्ष्मण ने 38 साल की उम्र में संन्यास लिया। सचिन तो 40 की उम्र तक खेले, इतना ही नहीं उन्होंने 36 साल के बाद 9 टेस्ट शतक भी लगाए। ऐसे में सवाल उठना लाजमी ही है कि कहीं कोहली ने 2-3 साल पहले तो टेस्ट रिटायरमेंट नहीं ले लिया? 3. भारतीय जो कम उम्र में रिटायर हुए कोहली ऐसे पहले भारतीय नहीं रहे, जिन्होंने कम उम्र में संन्यास लिया। रवि शास्त्री ने 31 और एमएस धोनी ने 33 साल की उम्र में ही टेस्ट से संन्यास ले लिया था। वहीं भारत के लिए तीनों फॉर्मेट में शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी सुरेश रैना ने भी 34 साल की उम्र में ही संन्यास ले लिया था। धोनी ने 90, शास्त्री ने 80 और रैना ने 18 टेस्ट खेले। 4. 5 रिकॉर्ड तोड़ने से चूके विराट ---------------------------------------------------------- कोहली के संन्यास से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए... विराट की बदौलत क्रिकेट को मिली शोहरत: टी-20 युग में टेस्ट को बेस्ट बनाया '60 ओवर, उन्हें नर्क महसूस होना चाहिए।' विराट कोहली के लॉर्ड्स स्टेडियम पर कहे ये शब्द हर क्रिकेट फैन और एक्सपर्ट के दिमाग में छपे हैं। 2021 में टीम इंडिया के सामने इंग्लैंड को 60 ओवर में ऑलआउट करने की चुनौती थी, इंग्लैंड ड्रॉ के लिए खेल रही थी। तब विराट ने अपने प्लेयर्स से ये शब्द कहे और टीम ने 52 ओवर में इंग्लैंड को समेट दिया। विराट के रिटायरमेंट से अटूट हुआ 100 शतकों का रिकॉर्ड कहा जाता है कि रिकॉर्ड बनते ही हैं टूटने के लिए। हालांकि, क्रिकेट के कुछ रिकॉर्ड ऐसे हैं, जो कालजयी बन जाते हैं। इनका टूटना लगभग नामुमकिन माना जाता है। जैसे 50 से ज्यादा टेस्ट खेलने के बाद डॉन ब्रैडमैन का 99.94 का औसत। इंटरनेशनल क्रिकेट में मुथैया मुरलीधरन का 1347 विकेट का रिकॉर्ड। विराट कोहली के टेस्ट से रिटायरमेंट के बाद सचिन तेंदुलकर के 100 शतकों का रिकॉर्ड भी इसी फेहरिश्त में शामिल हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर

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